भोपाल मेट्रो अपनी ऑरेंज लाइन के पहले खंड को अगले महीने शुरू करने की तैयारी में है। एम्स से सुभाष नगर डिपो तक आठ स्टेशनों वाला यह रूट शोर और कंपन नियंत्रण तकनीकों से लैस है।
भोपाल मेट्रो अगले महीने शुरू करेगी प्राथमिकता कॉरिडोर
भोपाल मेट्रो अगले महीने अपना प्राथमिकता कॉरिडोर शुरू करने जा रही है। यह शहर के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। इस रूट के चालू होने से भोपाल का शहरी परिवहन नेटवर्क और मजबूत होगा।
रिपोर्ट के अनुसार, यह कॉरिडोर एम्स से सुभाष नगर डिपो तक बनेगा। ऑरेंज लाइन के इस आठ स्टेशनों वाले खंड में ट्रेनें 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेंगी। यह पूरी परियोजना मेट्रो रेल ट्रांजिट सिस्टम दिशानिर्देश 2015 के तहत तैयार की जा रही है।
पर्यावरण और सुरक्षा पर जोर
मध्य प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एमपीएमआरसीएल) का कहना है कि परियोजना का मुख्य लक्ष्य पर्यावरणीय प्रभाव को कम करना है। खासकर घनी आबादी और संवेदनशील इलाकों में विशेष ध्यान दिया गया है।
एम्स स्टेशन पर कंपन को कम करने के लिए नई इंजीनियरिंग तकनीकें अपनाई गई हैं। वहीं, एम्स से अलकापुरी बस स्टैंड खंड तक कंक्रीट स्लैब के नीचे रबर पैड लगाए गए हैं। ये रबर पैड कंपन को अवशोषित करते हैं, जिससे आस-पास की इमारतों को नुकसान नहीं होता।

शोर नियंत्रण के लिए विशेष इंतजाम
हबीबगंज नाका के पास 4 मीटर ऊँचे पारदर्शी ऐक्रेलिक बैरियर लगाए गए हैं। ये बैरियर शोर को रोकने के साथ-साथ दृश्य खुलापन भी बनाए रखते हैं। रानी कमलापति रेलवे स्टेशन और हबीबगंज सेक्शन में ट्रैक-स्विचिंग सिस्टम को फोम-इन्सुलेटेड धातु आवरणों के अंदर बंद किया गया है, ताकि चलने वाली ट्रेनों का शोर कम हो सके।
एमपी नगर क्षेत्र में कंपन को कम करने वाले विशेष मैट और रेल क्लिप लगाए गए हैं। ये ज़मीन पर पड़ने वाले प्रभाव को घटाते हैं। स्कूलों के पास, जैसे कि केंद्रीय विद्यालय क्षेत्र में, ट्रेनों की गति अपने-आप 60 किलोमीटर प्रति घंटे से कम हो जाएगी ताकि कक्षाओं में व्यवधान न हो।
सुभाष नगर डिपो में साउंड-प्रूफ सिस्टम
सुभाष नगर डिपो में शोर नियंत्रण के लिए खास इंतजाम किए गए हैं। पंखे, ट्रांसफार्मर और कंप्रेसर जैसे भारी उपकरण साउंड-प्रूफ पैक हाउस में रखे गए हैं। इससे कुल शोर स्तर सामान्य शहरी ध्वनि से नीचे रहेगा।
भविष्य की योजनाएँ
MPMRCL ने बताया कि इन तकनीकों की सफलता का मूल्यांकन किया जाएगा। साथ ही, भोपाल और इंदौर की आने वाली मेट्रो परियोजनाओं के लिए 12 मिलियन रुपये का बजट तय किया गया है। इन मूक मेट्रो तकनीकों को और प्रभावी बनाने पर काम जारी रहेगा।







