मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर राज्य में हाई-टेक वन्यजीव कैप्चर अभियान चलाया गया। हेलीकॉप्टर और बोमा तकनीक से 846 कृष्णमृग और 67 नीलगायों को बिना नुकसान के सुरक्षित अभयारण्यों में पुनर्स्थापित किया गया।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर मध्यप्रदेश में देश का पहला हाई-टेक वन्यजीव कैप्चर अभियान चलाया गया। यह अभियान राज्य के कई जिलों में चलाया गया। इसमें 846 कृष्णमृग और 67 नीलगायों को बिना कोई नुकसान पहुंचाए पकड़ा गया। सभी जानवरों को सुरक्षित अभयारण्यों में पुनर्स्थापित किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह अभियान सेवा भाव और संरक्षण का अद्भुत उदाहरण है। उन्होंने बताया कि यह कदम न केवल वन्यजीवों के लिए बल्कि किसानों की आजीविका की सुरक्षा के लिए भी ऐतिहासिक है।
हेलीकॉप्टर और बोमा तकनीक से हुआ अभियान
यह अभियान अत्याधुनिक तकनीक से किया गया। इसमें हेलीकॉप्टर और बोमा तकनीक का उपयोग हुआ। रॉबिन्सन-44 हेलीकॉप्टर से पहले खेतों और खुले इलाकों का सर्वे किया गया। फिर ‘बोमा’ नामक घास और जाल से बनी फनल आकार की बाड़ लगाई गई। इसके जरिए जानवरों को सुरक्षित दिशा में लाया गया। पूरी प्रक्रिया में किसी भी जानवर को नुकसान नहीं पहुंचा।
दक्षिण अफ्रीका की टीम का सहयोग
इस अभियान में दक्षिण अफ्रीका की कंजरवेशन सॉल्यूशंस कंपनी के 15 विशेषज्ञ शामिल रहे। उन्होंने प्रदेश की वन टीम को प्रशिक्षित भी किया। पूरी कार्रवाई वरिष्ठ वन अधिकारियों की निगरानी में पूरी हुई।
वन्यजीवों का सुरक्षित पुनर्वास
करीब दस दिनों तक चला यह अभियान सफल रहा। पकड़े गए सभी वन्यजीवों को गांधीसागर, कूनो और नौरादेही अभयारण्यों में पुनर्वासित किया गया। नीलगायों को गांधीसागर के 64 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में छोड़ा गया। किसी भी जानवर को बेहोश करने की जरूरत नहीं पड़ी। इससे अभियान प्राकृतिक और सुरक्षित बना रहा।
किसानों को मिली बड़ी राहत
इस अभियान से शाजापुर, उज्जैन और आसपास के जिलों के किसानों को राहत मिली है। अब फसलों को रौंदने और खाने की घटनाओं में कमी आई है। वन विभाग ने एक विशेष दल बनाया है जो भविष्य में अन्य जिलों में भी ऐसे अभियान चलाएगा।
मुख्यमंत्री ने दीपावली के दौरान समर्पित भाव से काम करने वाले वनकर्मियों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह टीम प्रदेश के वन्यजीव संरक्षण की नई मिसाल बनी है।







