सुप्रीम कोर्ट में CJI गवई पर जूता फेंकने वाला वकील रिहा, जानिए पूरी कहानी

By: Degital Team

On: Tuesday, October 7, 2025 4:59 PM

सुप्रीम कोर्ट में CJI गवई पर जूता फेंकने वाला वकील रिहा, जानिए पूरी कहानी
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सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वकील ने भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर जूता फेंका। आरोपी 72 वर्षीय राकेश किशोर को रिहा कर दिया गया। जानिए क्यों हुआ विवाद।

सुप्रीम कोर्ट में CJI गवई पर जूता फेंकने वाला वकील रिहा

नई दिल्ली। बीते दिन सुप्रीम कोर्ट में एक चौंकाने वाली घटना हुई। सुनवाई के दौरान एक वकील ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई पर जूता फेंक दिया। इस घटना से पूरे देश में हलचल मच गई।

हमला करने वाले वकील की पहचान 72 वर्षीय राकेश किशोर के रूप में हुई है। घटना के तुरंत बाद सुरक्षाकर्मियों ने राकेश को पकड़ लिया और दिल्ली पुलिस को सौंप दिया। हालांकि, CJI गवई ने आरोपी के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं कराने का निर्णय लिया। इसके बाद पुलिस ने राकेश को रिहा कर दिया।

भगवान विष्णु पर टिप्पणी से नाराज

खबरों के अनुसार, यह घटना उस समय हुई जब अदालत में भगवान विष्णु की प्रतिमा को लेकर सुनवाई चल रही थी। CJI गवई की टिप्पणी को राकेश ने “सनातन का अपमान” बताया।

पुलिस पूछताछ में राकेश किशोर ने कहा कि CJI के बयान से वह बहुत परेशान था। उसने बताया कि उस टिप्पणी के बाद से उसकी नींद उड़ गई थी। राकेश ने पुलिस को बताया, “रोज रात भगवान मुझसे पूछते थे कि इतने अपमान के बाद मैं कैसे आराम कर सकता हूं?”

राकेश ने यह भी कहा कि वह किसी राजनीतिक दल से जुड़ा नहीं है और अपने काम के लिए जेल जाने को तैयार है। उसने कहा, “मैंने जो किया, उसके बाद मेरा परिवार भी मुझसे खुश नहीं होगा। मुझे जेल भेज देना ही ठीक होगा।”

सुप्रीम कोर्ट में CJI गवई पर जूता फेंकने वाला वकील रिहा, जानिए पूरी कहानी

“सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान”

घटना के बाद अदालत में अफरा-तफरी मच गई। राकेश जोर-जोर से चिल्लाने लगा – “सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।” सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की सचिव मीनीश दुबे ने बताया कि राकेश को अपने किए पर कोई पछतावा नहीं था।

भाषण से भी था दुखी

रिपोर्ट्स के मुताबिक, राकेश केवल भगवान विष्णु पर की गई टिप्पणी से नाराज नहीं था, बल्कि वह मॉरिशस में CJI गवई के हालिया भाषण से भी दुखी था। CJI गवई ने वहां कहा था कि “भारत की न्याय व्यवस्था कानून के शासन के तहत चलती है, बुलडोजर के शासन के तहत नहीं।”

विवाद की पृष्ठभूमि

यह विवाद खजुराहो स्थित जवारी मंदिर से जुड़ी याचिका से शुरू हुआ था। यह मंदिर UNESCO की विश्व धरोहर सूची में शामिल है। अदालत में याचिका मंदिर के पुनर्निर्माण को लेकर दायर की गई थी।

CJI गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि यह मामला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अंतर्गत आता है। सुनवाई के दौरान CJI गवई ने याचिकाकर्ता से कहा, “भगवान से कहो कि वही कुछ करें।” इसी टिप्पणी पर वकील राकेश किशोर आक्रोशित हो गया था।

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