Singrauli News : लेह-लद्दाख में चाइना बार्डर के पास स्थित उमलिंग ला पास, दुनिया की सबसे ऊंची मोटरेबल पास रोड है। ये जगह समुद्र तल से 19 हजार 300 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां अन्य जगहों के मुकाबले मौसम का मिजाज भी काफी अलग ही रहता है, इसलिए बाहर से यहां जाने वालों के लिए हालात ज्यादा अनुकूल नहीं रहते, लेकिन एडवेंचर के दीवानों के लिए ऐसी तमाम विपरीत परिस्थितियां कोई मायने नहीं रखतीं। तभी तो एडवेंचर के दीवाने हों या बाइक राइडर्स, दुनिया की सबसे ऊंची मोटरेबल पास रोड उमलिंग ला पास तक जाने की ख्वाहिश रखते हैं। एडवेंचर के ऐसे ही दो दीवाने रवीन्द्रनाथ टैगोर और लोकेश मेहर सिंगरौली परिक्षेत्र में भी हैं, जो पिछले दिनों अपनी-अपनी बाइक रॉयल इनफील्ड हिमालयन से 1800 किमी से अधिक दूरी तय कर लेह लद्दाख में उमलिंग ला पास पहुंच गए। इन्होंने जिला मुख्यालय में स्थित दुधिचुआ क्षेत्र से इस सफर की शुरूआत की थी और उमलिंग ला पास तक पहुंचने में इन्हें आठ दिन का समय लगा.
दैनिक भास्कर में छपे एक आर्टिकल के अनुसार इतने लंबे सफर को बाइक से पूरा करने का कारण इन्हें बाइक राइडिंग पसंद होना है। इसके साथ ही बाइक से सफर करते हुये रास्तेभर पड़ने वाली जगहों में जहां रूके, वहां के कल्चर, प्राकृतिक नजारों का लुत्फ लेना भी था। पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छता और सेफ्टी का संदेश सिंगरौली से दुनिया की सबसे ऊंची चोटी तक पहुंचाना भी एक कारण था।
ये रहा रूट
दोनो युवा बाइक राइडर ने दुधिचुआ से 25 जून को अपरान्ह करीब 3 बजे बाइक राइडिंग की शुरूआत की थी। ये दुधिचुआ से चलकर मिर्जापुर से इलाहाबाद, कानपुर, इटावा होते हुये दिल्ली गए। फिर वहां से चंडीगढ़ से सीधे मनाली और आगे लेह लद्दाख पहुंचे।
सिंगरौली से शुरुआत व बनारस में सफर समापन में लगे ग्यारह दिन
ये बताते हैं कि 25 जून को शुरुआत सिंगरौली से करके मनाली तक पहुंचने में करीब 1500 किमी. का सफर तय किया है। इसके बाद करीब 1000 किमी. की दूरी मनाली से लेह-लद्दाख तक पहुंचने व वहां घूमने में तय किया। इसके बाद वहां से उसी रूट से वापसी कर 5 जुलाई को बनारस में आकर यात्रा का समापन किया।
दोनों राइडर हैं एनसीएल कर्मी
बता दें कि ये दोनों युवा बाइक राइडर कोल इंडिया की होल्डिंग कंपनी एनसीएल में कार्यरत हैं। इनमें रवीन्द्र दुधिचुआ में माइनिंग विभाग में ओवरमैन के पद पर कार्यरत हैं। जबकि लोकेश एक्सिवेशन विभाग में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। ऐसे में इन दोनों ने जिस ध्येय के साथ दुनिया की सबसे ऊंची मोटरेबल पास रोड तक जाने का कारनामा किया है, उससे न सिर्फ सिंगरौली परिक्षेत्र सिर्फ बल्कि एनसीएल का भी नाम रोशन हुआ है।
रवीन्द्र बताते हैं कि उन दोनों के उनके ग्रुप में अन्य कुछ लोग भी शामिल हैं और उन सभी को बाइक राइडिंग का काफी शौक है। ।वह बताते हैं कि लेह, लद्दाख से से पहले वह हिमाचल प्रदेश में स्पीति घाटी गए थे। इस सफर में करीब 4100 किमी. की दूरी तय की थी और 12 दिन का समय लगा था। इसके अलावा आसपास कह जगहों में छग के रकसगंडा, मेनपाट, रमदहा, बनारस सहित अन्य प्राकृतिक स्थलों पर जाते रहते हैं।
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