MP News : सिंगरौली जिले में सैकड़ों एकड़ जमीन औद्योगिक इकाइयों के लिए रिजर्व है। ऐसा कोई एरिया नहीं है, जहां पर एमपीआईडीसी को भूमि का आवंटन न किया गया हो। उद्देश्य यह है कि जगह-जगह पर औद्योगिक पार्क बनाए जाएं और रोजगार सृजन किया जाए। जल्द ही एमपीआईडीसी के द्वारा रीवा रीजन में एक रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव का आयोजन किया जायेगा। जिसमें निवेशकों को रीवा संभाग के सभी जिलों में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया जायेगाग्र रीवा में इंडस्ट्री कान्क्लेव आयोजित करने के लिए रूपरेखा तैयार की जा रही है। गत दिवस जबलपुर में आयोजित किए गये रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में 22 हजार करोड़ के निवेश से प्रदेश के मुखिया ही नहीं विभाग के अधिकारी भी उत्साहित हैं।
रीवा, सीधी, शहडोल और सिंगरौली में बनाए गये औद्योगिक पाकों में औद्योगिक भूखंडों को आवंटित कर इनमें इंडस्ट्री लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा। कार्यक्रम से पहले चेन्नई व अन्य स्थानों पर भ्रमण करके बड़े प्लेयर को लाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए गये हैं। बताया जा रहा है कि विंध्य में क्रॉप्स, औषधीय और टेक्सटाइल्स से जुड़े उद्योगों को शुरू करने के लिए कार्य किया जायेगा। अध्ययन में यह भी सामने आया कि राइस मिल जैसे उद्योगों में फॉलडाउन शुरू हो गया है, जबकि फूड प्रोसेसिंग और फ्लोर मिल यूनिट्स एक बड़े एरिया को कवर करती हैं।
स्पेयर पार्ट् स इंडस्ट्रियां हो सकती हैं सफल
सिंगरौली जिले के बरगवां में महान एल्यूमिनियम कंपनी के साथ ही एक बड़े सेज की स्थापना भी की जानी थी लेकिन समय के साथ सैकड़ों छोटी इंडस्ट्री वाला कार्यक्रम सफल नहीं हो सका। विश्व स्तरीय एत्यूमिनियम की उपलब्धता से यहां पर छोटे-बड़े वाहनों के स्पेयर पार्ट्स बनाने, बिल्डिंग्स के लिए रेडीमेड एल्यूमिनियम प्रोडक्ट तैयार करने की संभावनाएं भी हैं। इसके लिए एल्यूमिनियम निर्माता कंपनी से यह करार करना होगा कि जिले में स्थापित होने वाली ऐसी इंडस्ट्रीज को कच्चा माल यहीं से उपलब्ध कराएं। जिसके बाद ही ऐसी इंडस्ट्री यहां पर लगाई जा सकती हैं।
मल्टी स्टोरी बिल्डिंग निर्माण पर हो फोकस
कई वर्ष पूर्व एमपीआईडीसी के सिंगरौली स्थित कार्यालय से लगी भूमि पर मल्टीस्टोरी बिल्डिंग बनाने की योजना पर कार्य किया जा रहा है। जिसे बहुउद्देशीय तौर पर उपयोग किया जाना है, बड़े हाल में निर्माण और छोटे कमरों में आफिस बनाकर वैढ़न से देशभर के बाजार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना है। तीन वर्षों से बन रही इस योजना को पीपीपी मॉडल के जरिए भी पूरा किया जा सकता है। इस बिल्डिंग पर फोकस करके एक साथ सैकड़ों उद्यमियों को रोजगार दिया जा सकता है।
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