MP News : पर्यावरण संरक्षण और जल-वायु प्रदूषण पर प्रभावी रोक के लिए प्रदेश के हर जिले में अब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) के न केवल दफ्तर खोले जाएंगे, बल्कि जिला स्तर पर प्रदूषण की नियमित मॉनिटरिंग भी जल्द शुरू की जाएंगी। वन एवं पर्यावरण मंत्री रामनिवास रावत ने बुधवार को मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पर्यावरण समन्वय संगठन (एप्को) के कामकाज की समीक्षा करते हुए निर्देश दिए कि हर जिले में पीसीबी के दफ्तर खोलने की कार्ययोजना तैयार की जाए। इसके साथ ही प्रदेशभर में सिंगल यूज प्लास्टिक पर कड़ाई से रोक कैसे लगाई जा सकती है इसका भी एक्शन प्लान बनाकर काम किया जाए।
गौरतलब है कि प्रदेश में अब सिर्फ संभागीय मुख्यालयों और औद्योगिक शहरों में भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दफ्तर और मॉनिटरिंग यूनिट हैं। मंत्री रावत ने पीसीबी में खाली पड़े पदों को भरने के लिए पर्यावरण विभाग के अफसरों को प्रस्ताव तैयार और केबिनेट से मंजूरी के लिए प्रेसी तैयार करने के भी निर्देश दिए हैं। रावत ने प्रदेश में फैक्ट्रियों और कारखानों में अब तक हुई सभी घटनाओं की सूची तैयार करने और ऐसी घटनाओं की सूची तैयार करने के निर्देश दिए।
नदी किनारे वाले शहरों में निकायों के काम पर भी रखें नजर
बैठक के दौरान यह बात सामने आई कि प्रदेश के जिन शहरों के बीच से या किनारों से नदियां गुजरती हैं, वहां के नगरीय निकाय ठोस अपशिष्ठ प्रबंधन और सीवेज के मामले में लापरवाही बरतते हैं, जो लोगों के स्वास्थ्य के साथ ही नदियों की पवित्रता को प्रभावित करता है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को ऐसे शहरों में नगरीय निकायों के कामकाज की भी निगरानी रखना चाहिए। ऐसे शहरों की सूची तैयार कर इन पर विशेष ध्यान दिया जाए। नर्मदा किनारे बसे जबलपुर, होशंगाबाद, खंडवा, खरगोन, क्षिप्रा किनारे उज्जैन, नागदा, बेतवा किनारे विदिशा, मंडीदीप, शिवना किनारे मंदसौर, चित्रकूट में मंदाकिनी नदियों में सीवेज नियंत्रण के लिए प्रदूषण बोर्ड को सख्ती दिखानी होगी।