MP News : कक्षा में कुछ लड़के बहुत ही तेज होते हैं जो हमेशा अच्छे नंबर लेकर के आते हैं और कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जो साल, 2 साल, 3 साल लगातार फेल होते चले जाते हैं लेकिन अब शिक्षा विभाग उनके लिए बड़ा कदम उठाने जा रहा है और यह बच्चे भी उन्ही तेज बच्चों की तरह ही अच्छे नंबर लाकर माता-पिता का नाम रोशन करेंगे तो चलिए आपको बताते हैं शिक्षा विभाग ऐसा क्या नियम लेकर के आने वाला है.
बनाए जाएंगे सुपर सेक्शन
आपको बता दें कि कक्षा में जब कोई टीचर बच्चों को पढाता है तो टीचर का ज्यादातर ध्यान तेज विद्यार्थियों की तरफ होता है और जो विद्यार्थी कमजोर होते हैं शिक्षकों का ध्यान उनके तरफ कम होता है इसलिए अब ऐसी रणनीति बनाई जा रही है जिससे कि कमजोर विद्यार्थियों को भी शिक्षक का उतना ही सहयोग मिले जितना की तेज विद्यार्थियों को मिलता है और इन कमजोर विद्यार्थियों को पढ़ने के लिए सुपर सेक्शन बनाए जाएंगे जिसके लिए शिक्षा विभाग ने पूरी कमर कस ली है.
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शिक्षा विभाग करने जा रहा नया प्रयोग
आपको बता दें कि नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों के गुणवत्ता में सुधार के लिए शिक्षा विभाग अब एक अलग तरह का प्रयोग करने जा रहा है इस प्रयोग के अनुसार जो विद्यार्थी पढ़ने में कमजोर हैं उनके लिए अलग से कक्षाएं लगाई जाएगी जिसका नाम सुपर सेक्शन रखा जाएगा और इसके लिए शिक्षक भी अलग से तैनात किए जाएंगे इन बच्चों का साप्ताहिक और मासिक टेस्ट भी लिया जाएगा और इस टेस्ट के आधार पर जहां कमी रह जाएगी उसको दूर करने के लिए भी महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे इन बच्चों के लिए ओपन स्कूल भी चलाया जाएगा.
सुपर सेक्शन का उद्देश्य?
आपको बता दें कि सुपर सेक्शन का उद्देश्य है कि दसवीं कक्षा का परिणाम अच्छा आए और इस परिणाम को सुधारने के लिए शिक्षा विभाग सुपर सेक्शन में साप्ताहिक और मासिक टेस्ट लेगा आपको बता देगी कि पिछले 6 वर्षों में दसवीं का परिणाम प्रतिशत बहुत ही कम रहा है नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद से बेस्ट ऑफ़ फाइव योजना को बंद कर दिया गया है इसलिए शिक्षा विभाग दसवीं के परिणाम को सुधारने के लिए कक्षा नौवीं से ही कमजोर छात्रों पर जोर देना शुरू कर देगा.
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