Singrauli Aircraft : प्रशासनिक व शासन स्तर के साथ ही भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण की ओर से फिलहाल जो कवायद चल रही है, यदि वह अगले चार-छह माह में पूरी हो गई तो नए साल में बनारस-वैढ़न के बीच 80 सीटर एटीआर विमान आकाश में उड़ता दिख सकता है। यात्री हवाई सेवा शुरू करने के उद्देश्य से कलेक्टर चंद्रशेखर शुक्ला द्वारा बीते माह 11 जुलाई को पत्र भेजकर भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण दिल्ली से सिंगरौली हवाई पट्टी का व्यवहार्यता अध्ययन व ओएलएस सर्वेक्षण करने का अनुरोध किया था।
एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने भी इस पर त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए दूसरे दिन 12 जुलाई को प्रदेश के आयुक्त विमानन चंद्रमौली शुक्ला को पत्र भेजकर नौ बिंदुओं पर जानकारी मांगी और साइट व्यवहार्यता अध्ययन तथा ओएलएस सर्वेक्षण के लिए जीएसटी सहित 75 लाख रुपये शुल्क जमा कराने के लिए कहा। बताया जा रहा है कि नौ बिंदुओं में से आठ की जानकारी एकत्र कर ली गई है। सबसे महत्वपूर्ण बिंदु विंडरोज आरेख यानी यानी हर मौसम में हवा की की गति का 10 वर्ष का डाटा जुटाने के लिए पुणे स्थित संस्थान को पत्र भेजा गया है। कहा जा रहा है कि इसी माह पुणे स्थित संस्थान से यह डाटा मिल जाएगा।
एएआई की हरी झंडी के बाद होंगी यात्री सुविधाएं
नौ बिंदुओं पर दस्तावेज और डीएवी मिलने के बाद एएआई उसका अध्ययन करेगा। इसके बाद एटीसी की टीम व यात्री सुविधाओं से जुड़े अधिकारी सिंगरौली आकर हवाई पट्टी का स्थल निरीक्षण कर हरी डांडी देंगे। तब एटीसी से जुड़ी व्यवस्थाएं की जाएंगी। प्रवेश-निकास, लगेज सहित अन्य जरूरी व्यवस्था एएआई कराएगा। फिलहाल, राजनीतिक, प्रशासनिक व एएआई के स्तर पर जिस तरह की तेजी से प्रक्रियाएं पूरी की जा रही हैं, उससे अगले वर्ष यात्री सेवा शुरू होने की आस है। संभावना जताई जा रही कि भोपाल व सीधे दिल्ली के लिए भी एटीआर विमान की सेवा शुरू होगी। हालांकि सबसे पहले बनारस रूट पर ही विमान उड़ेगा।
एएआई ने मांगी है यह जानकारी और डाटा
विमानन आयुक्त को भेजे पत्र में एएआई ने व्यवहार्यता अध्ययन एवं ओएलएस सर्वेक्षण के लिए सहमति जताई है। इसके पूर्व प्रारंभिक व डेस्क अध्ययन करने चयनित हवाई पट्टी के बारे में दस्तावेज-डाटा उपलब्ध कराने कहा है। जिसमें डब्ल्यूजीएस-84 प्रणाली में प्रस्तावित स्थल के निर्देशांक, खसरा संख्या दर्शाते हुए स्थल का राजस्व मानचित्र, प्रस्तावित स्थल के समग्र ज्यामितीय आकार के साथ आयामों को दशति हुए स्थल का आरेखा स्केच, 1:50000 के पैमाने पर भारतीय सर्वेक्षण मानचित्र, मौसम विभाग से 10 वर्ष का डाटा, प्रस्तावित स्थल का विंडोज डायग्राम, भूमि की सीमा दर्शाने वाला स्थल का समोच्च (कॉटौर) मानचित्र और महत्वपूर्ण विमान का प्रकार, जिसके लिए हवाई अड्डे स्थान की योजना बनी है तथा वांछित प्रचालन प्रकार अर्थात वीएफआर या आईएफआर। इन नौ बिंदुओं में विंडरोज आरेख का डाटा पुणे का संस्थान उपलब्ध कराएगा।
शुल्क जमा करने की भी चल रही है प्रक्रिया
हवाई पट्टी का काम देख रहे सब इंजीनियर संजय श्रीवास्तव के अनुसार हवा से संबंधित डाटा छोड़कर अन्य आठ बिंदुओं की जानकारी जुटा ली गई है। अब पुणे स्थित संस्थान से बीते दस साल में हर मौसम में हवा की गति का डाटा भर आना है। उम्मीद है कि यह भी एकाध सप्ताह में हो जाएगा। इसके बाद सभी नौ बिंदुओं की जानकारी एएआई को जाएगी। व्यवहार्यता अध्ययन के लिए 32.10 लाख व 18 प्रतिशत जीएसडी, ओएलएस सर्वेक्षण करने 37 लाख 87 हजार 800 रुपये 18 फीसदी जीएसटी सहित जमा करने शासन से प्रक्रिया शुरू है।
बनारस इसलिए, क्योंकि दिल्ली-कोलकाता जाना यहां से आसान
सभी प्रक्रिया समय से पूरी हो गई तो अगले वर्ष के शुरू या फिर नए वित्त वर्ष में सिंगरौली से पहला एटीआर यात्री विमान बनारस के लिए उड़ेगा। बनारस उड़ान के लिए प्राथमिकता में सबसे ऊपर इसलिए है, क्योंकि वहां के बाबतपुर में स्थित लालबहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से दिल्ली, कोलकाता, कालकाता, मुबई मुंबई के साथ ही अरब कंट्री व थाइलैंड आदि के। लिए भी उड़ानें संचालित होती हैं। सिंगरौली में बहुतायत सार्वजनिक व निजी क्षेत्र की बड़ी औद्योगिक कंपनियों के अफसरों को आए ए दिन दिल्ली, कोलकाता या मुंबई आना-जाना पड़ता है। सामान्य यात्री भी दिल्ली जाने के लिए जिले से इकलौती ट्रेन पर निर्भर हैं या इसके लिए उन्हें रीवा, जबलपुर या भोपाल जाना पड़ता है। देश की सांस्कृतिक राजधानी होने से बनारस के लिए पर्याप्त संख्या में हवाई यात्री मिलने का अनुमान भी एक कारक बताया जा रहा है।