World Food Day 2024 : आजादी के पहले और बाद के कई दशकों तक भारत सहित विश्व के कई देश खाद्य संकट से जूझ रहे थे। पारंपरिक खेती-किसानी से होने वाली उपज वर्षभर की जरूरतें नहीं पूरी कर पाती थीं। एशिया के साथ अफ्रीका के कई देश अनाज उत्पादन में पीछे थे। यही कारण था कि पचास, साठ और सत्तर के दशक तक भुखमरी से भारत के कई राज्य जूझते रहते थे। हालांकि इसके बाद हरित क्रांति के तहत किए गए उपायों और मशीनीकरण से अन्न उत्पादन में वृद्धि होने लगी। आज यह स्थिति है कि भारत अन्न निर्यात कर रहा है। अब देश में भूख से मौत पुरानी बात हो गई है।
सरकार देश की 80 करोड़ से ज्यादा आबादी को हर माह पांच किलो राशन मुफ्त दे रही है। वहीं सिंगरौली में 2 लाख 51 हजार परिवारों के 11 लाख 1 हजार 45 सदस्यों को भी तीन किलो गेहूं एवं दो किलो चावल हर माह 382 पीडीएस दुकानों के माध्यम से मिल रहा। इसके अलावा अंत्योदय परिवार में प्रति सदस्य 21 किलो गेहूं और 14 किग्रा चावल दिया जा रहा है। हालांकि, कुपोषण अब भी एक बड़ी समस्या है, खासकर सिंगरौली जैसे जिलों के लिए। यहां बड़ी संख्या में बच्चे व महिलाएं कुपोषण का सामना कर रहे हैं।
वर्ष 1981 से मनाया जा रहा विश्व खाद्य दिवस
द्वितीय विश्व युद्ध के समय 1945 में खाद्य एवं कृषि संगठन की स्थापना हुई। संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन के 20वें महासम्मेलन में विश्व खाद्य दिवस मनाने की शुरुआत हुई। भूख व कुपोषण से लड़ने के लिए समर्पित अंतरराष्ट्रीय संगठन वर्ष 1981 से हर साल 16 अक्टूबर को यह दिवस मनाता आ रहा है।
बेहतर जीवन व बेहतर भविष्य के लिए खाने का अधिकार है थीम
वैश्विक खाद्य चुनौतियों को दर्शाने के लिए इस वर्ष विश्व खाद्य दिवस की थीम बेहतर जीवन और बेहतर भविष्य के लिए खाने का अधिकार तय की गई है। इसमें इस बात पर जोर दिया गया है कि हर इंसान को पौष्टिक भोजन का अधिकार है। इसके लिए ऐसी खाद्य प्रणाली विकसित करनी होगी जो न सिर्फ लोगों को भोजन उपलब्ध कराए बल्कि के ये भी सुनिश्चित करे कि ये प्रणाली टिकाऊ हो। हमें भोजन की बर्बादी किलो कम करने व उन सभी तक पौष्टिक भोजन पहुंचाने के उपाय खोजने होंगे।
चिंतित करती है ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट
हाल में जारी हुई ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2024 की रिपोर्ट के अनुसार भारत 127 देशों में 105वें स्थान पर है, जो देश में भूख की समस्या को दर्शाता है। यह डेटा विश्व खाद्य दिवस की अहमियत को और गहराई से समझने पर मजबूर करता है। भारत जैसे देश में अब भी लाखों लोग कुपोषण का शिकार हैं। रिपोर्ट के अनुसार भारत में बच्चों में कुपोषण और बाल मृत्यु दर काफी ज्यादा है। इस स्थिति में हमें अपनी खाद्य प्रणाली में सुधार लाने कई जरूरी कदम उठाने होंगे। यह दिन मनाने का उद्देश्य ये याद दिलाना है कि भोजन जरूरत नहीं, हर व्यक्ति का अधिकार है।
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