Progressive Farmer : एक बहुराष्ट्रीय कंपनी (multinational company) में नौकरी (Job) कर रहे किसान आशुतोष सिंह (Farmer Ashutosh Singh) हमेशा अपना काम करने की इच्छा रखते थे। करीब ₹60000 प्रतिमाह के वेतन वाली नौकरी को त्यागकर, आशुतोष सिंह (Farmer Ashutosh Singh) ने लखनऊ के पास मौजूद बगहा में अपने पांच बीघा खेत में काम करने का निर्णय लिया और अपने खेत के एक हिस्से में पोल्ट्री फार्म शुरू करने का योजना बनाई। आशुतोष सिंह ने खेत के एक हिस्से से मिट्टी निकालकर दूसरे हिस्से को ऊंचा करने का प्रयास किया और इस में सफलता प्राप्त की, लेकिन इस कोशिश के दौरान खेत में एक गड्ढा भी बन गया, जिसमें आशुतोष सिंह (Farmer Ashutosh Singh) ने पानी भरकर मछली पालन का काम शुरू किया।
जब पोल्ट्री फार्म (poultry farm) से कूड़ा-कचरा निकालने की शुरुआत हुई, तो इसका निपटान करने के लिए आशुतोष सिंह (Farmer Ashutosh Singh) ने अपने खेत में ऑर्गेनिक फार्मिंग (organic farming) की शुरुआत कर दी। पोल्ट्री (poultry farm) के कचरे का उपयोग करके उन्होंने धान-केले की खेती की शुरुआत की। आशुतोष सिंह (Farmer Ashutosh Singh) की विशेषता यह है कि उनके पास बहुत ज्यादा भूमि है, और वे इससे अच्छा आय प्राप्त कर रहे हैं।
आशुतोष सिंह (Farmer Ashutosh Singh) कहते हैं कि उन्होंने जमीन होने के बाद पढ़ाई लिखाई करने के कारण वे एक प्रगतिशील किसानी ( progressive farming) के रूप में काम करना शुरू किया है। काम करने से पहले, आशुतोष सिंह (Farmer Ashutosh Singh) ने इस विषय में कई किसानों से मिलकर Research किया और इसके बाद ही उन्होंने अपना काम शुरू किया।
आशुतोष सिंह (Farmer Ashutosh Singh) ने बताया कि अगर कोई सामान्य व्यक्ति इस काम को करता, तो उसकी लागत बढ़ जाती, लेकिन उनकी शिक्षा और विपणन (Education and Marketing) के ज्ञान के कारण, उन्हें कम लागत में अधिक लाभ कमाने में मदद मिल रही है। इसके साथ ही, वह अपने क्षेत्र के कई लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं।
Lucknow के जानकीपुरम में रहने वाले आशुतोष सिंह (Farmer Ashutosh Singh) हर दिन सुबह 9:00 बजे अपने गांव बगहा में पहुंचते हैं, जहां पूरा खेत देखते हैं, चीजों की देखभाल करते हैं, और कामकाज करने वालों की उपस्थिति दर्ज करते हैं। सिंह ने कहा, “पोल्ट्री में मुर्गों के बीच सुबह-सुबह टहलना महत्वपूर्ण है।”
आशुतोष सिंह (Farmer Ashutosh Singh) अपने स्टाफ को यह भी बताते हैं कि सुबह-सुबह उनके मुर्गों के बीच जाना चाहिए, जिससे वे यह पता लगा सकें कि कोई मुर्गा बीमार नहीं है। आशुतोष सिंह (Farmer Ashutosh Singh) ने कहा है कि प्रगतिशील पोल्ट्री फार्मर (Progressive Poultry Farmer) होने के कारण वह इस बात का ख्याल रखते हैं कि कितना दाना खर्च हो रहा है और यह भी कि मुर्गा कितने दिनों में तैयार हो रहा है।
इस दौरान, अगर कोई मुर्गा बीमार होता है, तो उसे पोल्ट्री फार्म (poultry farm) से बाहर निकाल दिया जाता है, ताकि वह दाना का उपयोग नहीं कर सके, क्योंकि अंत में वह हानि ही पहुंचाएगा। आशुतोष सिंहन (Farmer Ashutosh Singh) बताते हैं कि वे कई कॉलेजों में जाकर युवाओं को पढ़ाते हैं और उन्हें पोल्ट्री और फिशरी के बारे में शिक्षा देते हैं।