MP News : निराश्रित गौवंश की समस्या से इस समय देश-विदेश के साथ सिंगरौली जिला भी व्यापक स्तर में जूझ रहा है। यद्यपि प्राचीनकाल से ही गौवंश, ग्राम जीवन की रीढ़ रही है, लेकिन कालांतर में हो रहे विभिन्न प्रकार के प्रयोग और उन्नत तकनीक के आ जाने से गौवंश की उपादेयता कम होती चली गई है।
वर्तमान में गौवंशों को उनके पालकों द्वारा लगातार निराश्रित अवस्था में छोड़ दिया जा रहा है, ऐसे गौवंश यहां-वहां भटकते हुए या तो मार्गों में दुर्घटना कारित करते हैं तथा अचानक काल कवलित हो रहे हैं साथ ही ऐसे गौवंश बड़ी संख्या में गांव के फसलों को भी नष्ट करते हैं। जिससे किसानों में भी व्याप्त असंतोष होता है। इसके निदान ग्राम स्तर में ही किया जाना आवश्यक है।
सिंगरौली जिले के कलेक्टर श्री चन्द्रशखर शुक्ला ने चरवाहे की व्यवस्था समेत इन बातों पर ध्यान देने की बात कही
- प्रत्येक राजस्व ग्राम में उपलब्ध चरनोई की शासकीय भूमि का चिन्हकन एवं सीमांकन कर ग्राम पंचायत को उपलब्ध कराई जाए।
- प्रत्येक पंचायतें अपने अंतर्गत आने वाले सभी ग्रामों में गौवंशों की संख्या का आंकलन कर विभिन्न आकार के बाड़े बनवाए, ये बाड़े स्थाई और अस्थाई प्रकृति के हो सकते हैं, जिनका निर्माण आयरन स्टील के पाइप, चौनलिंग फेंसिंग, पुरानी अनुपयोगी सामग्री, वनस्पतियों की बागड़, खंती आदि के माध्यम से बनाई जा सकती है।
- जहां पर गौवंशों की संख्या ज्यादा है, वहां पर मनरेगा, 15वे वित्त, अन्य उपलब्ध मद अथवा सामुदायिक सहयोग से एक-एक शेड भी बनाया जा सकता है।
- ऐसे गौवंश के पानी और आहार की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाए ।
- इन निराश्रित गौवंश की चराई हेतु एक या अधिक संख्या में (जो भी आवश्यक हो) ग्वालों/चरवाहे की व्यवस्था की जाए, ताकि उनका स्वास्थ्य और भोजन सुनिश्चित किया जा सके।
- यह व्यवस्था एक आवश्यक और अनिवार्य व्यवस्था के रूप में रहेगी। ताकि गांव अपने गौवंशों का सामुदायिक स्तर पर संधारण कर सके।
- गांव के सेवाभावी लोगों को इन गतिविधियों से जोड़ा जाए। गर्भवती एवं दूध पिलाने वाली गायों के लिए अलग से समुचित व्यवस्था की जाए तो अति उत्तम होगा।
- पंचायत में उपलब्ध 15वें वित्त एवं मनरेगा के अनुमत्य कार्यों से राशि का व्यय करें ।
- पंचायतों की यह जवाबदारी होगी के गांव में कोई भी निराश्रित गौवंश न रहे तथा खेतों में अथवा सड़कों पर न घूमता पाया जाए।
- जिले में मुख्यमंत्री गौ सेवा योजना के अंतर्गत निर्मित एवं संचालित गौशालाओं के निर्माता/संचालक इस विषय में सार्थक भूमिका का निर्वहन करें ।
- ये गौशालाएं गांव की गौवंश की आवश्यकता के अनुरूप कार्य योजना बनाएं। इनका संचालन
- आजीविका मिशन के स्व सहायता समूह कर रहे हैं। 12. गौशालाओं में उपलब्ध शासकीय भूमियों का समूहों को खाद्यान्न, मसाले की खेती एवं सब्जी उत्पादन के लिए उपलब्ध कराएं, ताकि वैकल्पिक आय सृजन किया जा सके ।
- मनरेगा एवं 15वें वित्त के उपलब्ध मद से आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाए।