MP News : अटैचमेंट के जरिए स्कूलों से दूरी बनाकर रखने वाले शिक्षकों की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। स्कूल के शिक्षकों का मुख्य कार्य बच्चों को पढ़ाना रहा है और अब इस पर ही फोकस किया जा रहा है। शिक्षा विभाग ने कहा है कि किसी दूसरे कार्य और दफ्तर में अटैच शिक्षकों को स्कूलों में लौटना होगा। ऐसे स्कूलों में अतिथि शिक्षक की तैनाती भी नहीं की जाएगी।
आम तौर पर देखने में आया है कि शिक्षकों को कलेक्ट्रेट की निर्वाचन शाखा, प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम, डीईओ, जेडी, बीईओ जैसे कार्यालयों में समय-समय पर अटैच कर दिया जाता है। इससे स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित होती है। लोक शिक्षण आयुक्त ने अपने आदेश मे कहा है कि अगर कोई अधिकारी इसके बाद भी शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य में लगाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
अतिथि शिक्षकों की गाइड लाइन
• स्कूलों में अतिथि शिक्षक की नियुक्ति संबंधी गाइड लाइन भी आयुक्त जनजातीय कार्य द्वारा जारी कर दी गई है।
इसमें भी स्पष्ट किया गया है कि यदि स्कूल में पदस्थ शिक्षक किसी अन्य संस्था में अटैच है तो उसका पद भरा हुआ माना जाएगा।
• गाइड लाइन में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि अटैच शिक्षक के स्थान पर अतिथि शिक्षक की नियुक्ति नहीं की जाएगी।
• कई जगहों से ऐसी शिकायत अफसरों तक पहुँची है कि नियमित शिक्षक के पदस्थ होने के बाद भी अतिथि शिक्षक तैनात किए जा रहे हैं।
कोई शिक्षक यदि स्कूल में ट्रांसफर होकर एवं नियमित नियुक्ति से आता है तो उसके पद के विरुद्ध भर्ती किए गए अतिथि शिक्षक का आदेश स्वयं ही समाप्त माना जाएगा।
नियम भी, अनदेखी भी
शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य न कराए जाने को लेकर नियम भी है तो दूसरी तरफ इनकी अनदेखी के सैकड़ों मामले भी हैं। शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 27 में प्रावधान है कि शिक्षकों को शैक्षणिक के अलावा दूसरे कार्यों में न लगाया जाए। इसके बावजूद पता चला है कि शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में अटैच किया जा रहा है।