MP flood : ओंकारेश्वर (Omkareshwar News) में हाल के दिनों में नर्मदा (Narmada) का रौद्र स्वरूप प्रकट हुआ। इसने लोगों को मुश्किलों में डाल दिया। यहां, सिर्फ नदी के किनारे के घाट नहीं डूबे, बल्कि घाट की दुकानें भी पानी में डूब गईं। नावों को ही नहीं, बल्कि ओंकारेश्वर मुख्य मंदिर (Omkareshwar Main Temple) के प्रवेश द्वार के पहले बाजार तक पानी पहुंच गया।
नुकसान सिर्फ घाटों और उनकी दुकानों के ही नहीं, बल्कि मुख्य बाजार तक पानी पहुंच गया। बारिश बंद होने के बाद, नर्मदा शांत हो गई है, लेकिन अब स्थानीय लोगों की आंखों में गुस्सा है और आंसू हैं। लोगों का मानना है कि प्रशासन के दुरुपयोग और असहमूल्य व्यवहार के कारण इस दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति का कारण बना है। डैम में पानी छोड़ा गया था, सिर्फ मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के लिए ओंकार पर्वत पर जाने के लिए बनाई गई पुलिया पर पानी नहीं आया।
लोगों का आरोप है कि यदि ओंकारेश्वर बांध से सामान्य दिनों में थोड़ा-थोड़ा पानी छोड़ा जाता तो इस आपदा को रोका जा सकता था। मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में वाहनों को ओंकार पहाड़ी तक पहुंचाने के लिए बनी पुलिया में पानी न जाए, इसके लिए यहां बांध को बंद कर भर दिया गया था।
स्थानीय बीजेपी नेता गजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि बांध प्रबंधन से हमारा सवाल बाढ़ रोकना है या बाढ़ फैलाना है? जब गर्मियों के दौरान नदी सूख जाती है, तो बांध से पानी नहीं छोड़ा जाता है, और जब मानसून के दौरान बाढ़ की स्थिति होती है, तो बांध नर्मदा में अधिक पानी छोड़ता है। क्या बांध लोगों को परेशानी से बचाने के लिए है या मुसीबत में डालने के लिए?
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