मध्यप्रदेश के 13 सरकारी नर्सिंग कॉलेजों को अभी तक नर्सिंग काउंसिल से मान्यता नहीं मिली है। मान्यता न मिलने से करीब 3000 विद्यार्थी परेशान हैं और नए प्रवेश भी रुके हुए हैं।
मध्यप्रदेश के 13 सरकारी नर्सिंग कॉलेजों को अब तक नहीं मिली मान्यता
भोपाल। मध्यप्रदेश के 13 सरकारी नर्सिंग कॉलेज अब भी नर्सिंग काउंसिल की मान्यता से वंचित हैं। इस कारण लगभग 3000 विद्यार्थियों का भविष्य संकट में है। वहीं, नए प्रवेश की प्रक्रिया भी बाधित हो गई है।
जानकारी के अनुसार, इस साल जिन विद्यार्थियों को सरकारी नर्सिंग कॉलेजों में दाखिला मिलना था, उनका दाखिला शुरू ही नहीं हो सका। मजबूर होकर छात्र अब दूसरे राज्यों या निजी कॉलेजों में जाने को विवश हैं।
निजी कॉलेजों में बीएससी नर्सिंग का सालाना शुल्क लगभग एक लाख रुपये है, जबकि सरकारी कॉलेजों में यह करीब 30 हजार रुपये होता है। चार साल की पढ़ाई में सरकारी कॉलेज जहां लगभग 1.20 लाख रुपये में कोर्स पूरा कराते हैं, वहीं निजी कॉलेजों में यह खर्च चार से पांच लाख रुपये तक पहुँच जाता है।
सरकारी कॉलेजों में आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति भी मिलती है, जो निजी संस्थानों में संभव नहीं है। छात्रों ने कहा कि देरी से उन्हें आर्थिक और मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
इस वर्ष नर्सिंग कॉलेजों में प्रवेश प्रक्रिया 30 सितंबर तक पूरी होनी थी, लेकिन यह 22 सितंबर से शुरू हुई। अब इंडियन नर्सिंग काउंसिल (आईएनसी) से अनुमति लेकर तारीख 30 अक्टूबर तक बढ़ा दी गई है। तय कार्यक्रम के अनुसार, 13 अक्टूबर को अस्थायी सीट आवंटन और 14 से 18 अक्टूबर तक अपग्रेडेशन व प्रवेश होंगे।

कई कॉलेजों में स्टाफ की भारी कमी
- शासकीय नर्सिंग कॉलेज, रायसेन : प्राचार्य, उप प्राचार्य और असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं।
- शासकीय कॉलेज ऑफ नर्सिंग, मंदसौर : केवल पांच फैकल्टी कार्यरत।
- शासकीय कॉलेज ऑफ नर्सिंग, नरसिंहपुर : उप प्राचार्य, एसोसिएट और असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं।
- शासकीय आयुर्वेद कॉलेज, जबलपुर : सिर्फ दो फैकल्टी।
- जीपीएनएम स्कूल, राजगढ़ : प्रमुख पद रिक्त।
- कॉलेज ऑफ नर्सिंग, सागर : स्टाफ की कमी।
- स्कूल ऑफ नर्सिंग, खंडवा : प्रमुख पद खाली।
- विभाग, इंदिरा गांधी ट्राइबल यूनिवर्सिटी, अमरकंटक : 50 सीटों पर मात्र एक फैकल्टी।
- पंडित खुशीलाल शर्मा आयुर्वेद महाविद्यालय, भोपाल : फैकल्टी संख्या मानक से कम।
- जीपीएनएम स्कूल, झाबुआ : प्राचार्य और असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं।
- जीपीएनएम स्कूल, सीधी : प्रमुख पद रिक्त।
- स्कूल ऑफ नर्सिंग, दमोह : शिक्षण स्टाफ नहीं।
- शासकीय धनवंतरी आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज, उज्जैन : केवल एक फैकल्टी कार्यरत।
मध्यप्रदेश नर्सिंग काउंसिल के रजिस्ट्रार मुकेश सिंह ने कहा कि प्रदेश के नर्सिंग संस्थानों को मान्यता देने की प्रक्रिया जारी है। उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द ही इस समस्या का समाधान किया जाएगा।







