Reservation in private sector : हरियाणा सरकार के कानून – हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों के रोजगार अधिनियम 2020 (Employment Act 2020) को रद्द कर दिया। परिणामस्वरूप निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय लोगों को 75 प्रतिशत आरक्षण मिलता था। राज्य के निजी संगठन, सोसायटी, ट्रस्ट और पार्टनरशिप फर्म हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवार भर्ती अधिनियम 2020 के अंतर्गत आते हैं।
उच्च न्यायालय ने हरियाणा सरकार को दिया बड़ा झटका
उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति जीएस संधावालिया और न्यायमूर्ति हरप्रीत कौर की खंडपीठ ने हरियाणा में विभिन्न उद्योग निकायों द्वारा दायर कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए आदेश पारित किए। यह निर्णय हरियाणा के उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व वाली जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के लिए एक बड़ा झटका है, जो इस कानून को अपनी प्रमुख उपलब्धियों में से एक बताती है। जेजेपी हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली भाजपा-जेजेपी गठबंधन सरकार में भागीदार है।
संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है
दरअसल, निजी क्षेत्र की शिकायत थी कि हरियाणा सरकार निजी क्षेत्र में आरक्षण पैदा करना चाहती है, जो नियोक्ताओं के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। संगठनों का तर्क है कि निजी क्षेत्र की नौकरियाँ पूरी तरह से कौशल आधारित हैं और उन्हें अपनी शिक्षा के आधार पर भारत के किसी भी हिस्से में नौकरी पाने का संवैधानिक अधिकार है।
यह अधिनियम उद्योग के रोजगार ढांचे में अराजकता पैदा करेगा
यह भी आरोप है कि यह कानून योग्यता को महत्व दिए बिना उद्योग के रोजगार ढांचे में अराजकता पैदा करेगा। अधिनियम में प्रावधान है कि नई फैक्ट्रियों या उद्योगों या पहले से स्थापित प्रतिष्ठानों में 75 प्रतिशत नौकरियां हरियाणा के निवासियों को दी जाएंगी।
यह अधिनियम 30,000 रुपये से कम वेतन पर लागू था
यह केवल हरियाणा राज्य में स्थित विभिन्न निजी तौर पर संचालित कंपनियों, सोसायटी, ट्रस्ट, पार्टनरशिप फर्म, पार्टनरशिप फर्म आदि में 30,000 रुपये प्रति माह से कम वेतन वाले रोजगार के संबंध में लागू है, जिसमें 10 या अधिक व्यक्ति कार्यरत हैं।
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