Singrauli News : सिंगरौली कोयला व अन्य खनिज से भरपूर सिंगरौली जिले में वन भूमि का व्यवस्थापन न होने का फायदा राजस्व विभाग संग जमीन माफिया उठा रहे हैं। राजस्व विभाग से मिलीभगत कर वन भूमि अपने नाम कराकर पावर और कोयला कंपनियों को बेची जा रही है। इस संबंध में ध्यान आकृष्ट कराते हुए सिंगरौली के वन मंडल अधिकारी ने बीते डेढ़ दशक में देवसर एसडीएम सह वन व्यवस्थापन अधिकारी के साथ कलेक्टर को कई पत्र लिखे, लेकिन व्यवस्थापन की पहल नहीं की गई। वन मंडल अधिकारी ने अपने पत्रों में भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 5 से लेकर 19 तक की वन व्यवस्थापन संबंधी कार्यवाही करने अनुरोध किया था, जिसकी अनदेखी कर दी गई। इसके बाद गत 24 अप्रैल को उन्होंने कलेक्टर को पत्र लिखकर अधिसूचित 115 वनखंडों में अधिसूचना दिनांक के बाद जारी किए गए नामांतरण, हस्तांतरण, राजस्व पट्टा आदि, जो धारा पांच के अनुरूप नहीं है, न जारी करने का अनुरोध किया। इसके तीन दिन बाद बैठक के दौरान भी कलेक्टर को इस संबंध में उन्होंने अवगत कराया। बताया कि धारा 5 से 19 तक की कार्यवाही आज दिनांक तक वन व्यवस्थापन अधिकारियों के पास लंबित है। इसके बाद भी कलेक्टर स्तर से भी कोई पहल नहीं की गई।
वन मंडल अधिकारी ने गत 2 जुलाई को एक बार फिर कलेक्टर को पत्र लिखकर जिले में विभिन्न क्षेत्रों में स्थित कोल ब्लॉक के लिए आवंटित की गई वन भूमि में से अधिकांश के राजस्व रिकार्ड में दर्ज होने की बात कहते हुए वन अधिनियम की धारा 5 से 19 तक की कार्यवाही पूर्ण होने तक भूअर्जन रोकने के लिए कहा है। साथ ही वन अधिनियम की धारा 5 से 19 तक की वन व्यवस्थापन संबंधी समस्त कार्यवाही पूरा कराने का अनुरोध किया है।
धारा 5 व 19 की कार्यवाही होने तक सभी कंपनियों का भूअर्जन रोकें
कलेक्टर को लिखे गए पत्र में वन मंडल अधिकारी ने कहा है कि सार्वजनिक व निजी कंपनियों को कोल ब्लॉकों में वन विभाग द्वारा आवंटित भूमि में अधिकांश राजस्व रिकार्ड के नाम पर दर्ज की गई हैं। भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 4 का प्रकाशन होने के बावजूद भी इस अधिनियम की धारा 5 से 19 तक की कार्यवाही अभी तक अपूर्ण है। जिसकी वजह से भू माफियाओं द्वारा बड़ी संख्या में उक्त भूमियों पर हजारों की संख्या में मकान बनाकर मुआवजा ले रहे हैं। ऐसे में जब तक वन अधिनियम की धारा 5 से 19 की कार्यवाही पूरी नहीं कर ली जाती तब तक अर्जन को रोका जाए। साथ ही धारा 5 से 19 तक की कार्यवाही संबंधित वन व्यवस्थापन अधिकारी से पूर्ण कराने व भूअर्जन से संबंधित वनखंड के प्रभावित क्षेत्र पर विधिवत कार्यवाही करवाने का कष्ट करें।
जब तक न हो वन व्यवस्थापन तब तक रोकें भूअर्जन की प्रक्रिया
वन मंडल अधिकारी ने गत 2 जुलाई को लिखे गए पत्र में कहा है कि वन विभाग द्वारा एक कंपनी को कोल ब्लॉक के लिए 785.46 हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई है। इसमें अधिकांश राजस्व भूमि के रूप में दर्ज है। जिस भूमि का अर्जन किया जा रहा है उसके वन व्यवस्थापन से संबंधित धारा 5 से 19 तक की कार्यवाही नहीं की गई है। इसी तरह एक पावर कंपनी को भी कैप्टिव कोल ब्लॉक कोयला मंत्रालय द्वारा आवंटित किया गया है। इसमें वन विभाग ने 1046.02 हे. भूमि आवंटित की है। जिसमें 603 हे. वन भूमि राजस्व के रूप में दर्ज है। इन कंपनियों को आवंटित भूमियों का जब तक धारा 5 से 19 तक का व्यवस्थापन न हो जाए तब तक भूअर्जन न किया जाए। साथ ही वन व्यवस्थापन अधिकारी से धारा 5 से 19 की कार्यवाही पूर्ण कराने का कष्ट करें।
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