Singrauli News : आमतौर पर स्वस्थ व्यक्ति 65 वर्ष की आयु तक साल में 3 से 4 बार रक्तदान कर सकता है। गंभीर रूप से बीमार मरीज की जान खतरे में हो तो इससे ज्यादा उम्र का व्यक्ति भी ब्लड डोनेट कर सकता है। बीते फरवरी महीने में यही किया नेहरू शताब्दी चिकित्सालय से सेवानिवृत्त पैथालॉजिस्ट और अब रेडक्रॉस ब्लड बैंक के डायरेक्टर 75 वर्षीय डॉ. आरडी द्विवेदी ने जिला अस्पताल में भर्ती महिला मरीज की गंभीर स्थिति को देखते हुए एक दिन पूर्व उसके परिजन ने डॉ. आरडी द्विवेदी को फोन कर ए पॉजिटिव ब्लड उपलब्ध कराने की गुहार लगाई तो उन्होंने बताया कि इस ग्रुप का रक्त नहीं है उपलब्ध होने पर दिया जाएगा।
इसके बाद भी उसने रात में चार बार फिर फोन किया और सुबह 10 बजे ओ पॉजिटिव ग्रुप का डोनर लेकर विंध्या हॉस्पिटल विंध्यनगर स्थित रेडक्रॉस ब्लड बैंक पहुंच गया। उस समय तक ए पॉजिटिव ग्रुप का रक्त उपलब्ध नहीं हुआ था। कोई डोनर भी नहीं था। ऐसे में ए पॉजिटिव ब्लड ग्रुप के डॉ. आरडी द्विवेदी ने स्वयं रक्तदान कर एक यूनिट ब्लड उसे दिया। जिससे बीमार महिला की जान बच सकी। यह घटनाक्रम नजीर है ऐसे लोगों के लिए जिनके मन में अब भी रक्तदान को लेकर कमजोरी, खून घटने या फिर न बनने की भ्रांतियां हैं। यह तो भला हो औद्योगिक कंपनियों, कुछ संगठनों और स्कूलों का, जो शिविर के माध्यम से रक्त जुटाकर घायलों व बीमारों संग थैलेसीमिया-सिकलसेल के मरीजों की मदद कर रहे हैं।
ये भी पढ़े : Biggest District Of MP : इंदौर या छिंदवाड़ा मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा जिला कौन? MP का सबसे स्वच्छ जिला कौन?