Police Language : आप कभी ना कभी थाने में जरूर गए होंगे अगर नहीं भी गए तो आपने पुलिस की भाषा में कभी न कभी चश्मदीत गवाह, गिरफ्तार, कत्ल मुचलिका जैसे कई उर्दू शब्दों को सुना होगा लेकिन अब इन शब्दों की विदाई होने वाली है आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ राज्य की पुलिस अब फारसी और उर्दू शब्दों की जगह हिंदी शब्दों का प्रयोग करेगी इसके लिए छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा ने निर्देश भी जारी कर दिए हैं गृह मंत्री विजय शर्मा ने निर्देश देते हुए कहा कि हमें ऐसी भाषा का प्रयोग करना चाहिए जो आम आदमी को समझ में आए.
कौन सी भाषा का प्रयोग करती है पुलिस?
आपको बता दे कि ऐसे बहुत से भाषा है जिसका पुलिस प्रयोग करती है जैसे कि अगर किसी की मौत हो जाती है तो पुलिस अपने FIR में फौत होना लिखती है इसके साथ ही नकबजी का मतलब नकाब पोस्ट चोरों का घर या दुकान में घुसकर चोरी करनाइसके साथ ही सफीना – बुलावा पत्र, हाजा – स्थान अथवा परिसर, अदम तामील- सूचित न होना, अदम तकमीला- अंकन न होना, चिक खुराक – थाने पर आरोपित के खाने पर हुआ खर्च, नकल रपट – किसी लेख की नकल, नकल चिक – एफआइआर की प्रति, मौका मुरत्तिब – घटनास्थल पर की गई कार्रवाई, बाइस्तवा – शक, संदेह, तरमीम – बदलाव करना अथवा बदलना, चस्पा – चिपकाना, जरे खुराक – खाने का पैसा, जामा तलाशी – वस्त्रों की छानबीन, बयान तहरीर – लिखित कथन, माल मसरुका- लूटी अथवा चोरी गई संपत्ति, मजरुब – पीड़ित, मुजामत- झगड़ा, मुचलका – व्यक्तिगत पत्र, रोजनामचा आम- सामान्य दैनिक, रोजनामचा खास – अपराध दैनिक कहा जाता है.
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