Singrauli News : देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में जिले की कोयला खदानें और पावर प्लांट अहम भूमिका निभाते हैं, लेकिन इनसे निकलने वाले प्रदूषण का खामियाजा तो इस परिक्षेत्र के लोगों को कई प्रकार से भुगतना पड़ता है। ऐसे में इस क्षेत्र के विकास से लेकर यहां रहने वालों की आवश्यक जरूरतों को पूरा करने की भी जिम्मेदारी शासन ने कोल कंपनियों व पावर प्लांटों की तय ही है, जिसे इन्हें सीएसआर और डीएमएफ फंड से पूरा करना होता है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से ये अक्सर देखने में आता है कि यहां की कंपनियों के सीएसआर और डीएमएफ फंड की राशि सिंगरौली के आसपास के क्षेत्रों में भी नहीं बल्कि कई सैकड़ा किमी दूर तक के क्षेत्रों में खर्च की जाती हैं, जो सिंगरौलीवासियों को नागवार गुजरती है और इसे लेकर कई बार लोग विरोध में भी उतर चुके हैं। ऐसे में एनसीएल के सीएसआर फंड को जबलपुर में खर्च किये जाने का एक मामला सामने आया है। जिसमें एनसीएल के सीएसआर फंड की राशि से जबलपुर में एक लाइब्रेरी कम रीडिंग रूम बनवाया जाएगा। जिससे ये सवाल उठने लगे हैं।
एनसीएल ने जबलपुर कलेक्टर से मांगी एनओसी
एनसीएल के सीएसआर फंड की राशि से जबलपुर में एक लाइब्रेरी कम रीडिंग रूम बनवाया जाएगा। ये जानकारी सामने आयी है एनसीएल के एचओडी सीएसआर द्वारा कलेक्टर जबलपुर को 17 जून को भेजे गये एक पत्र से। जिसमें एनसीएल के एचओडी सीएसआर ने कलेक्टर जबलपुर से लाइब्रेरी कम रीडिंग रूम बनवाने के लिए नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट आदि की मांग की है। इस पत्र में ये भी स्पष्ट किया गया है कि इस कार्य के लिए विद्यार्थी कल्याण न्यास भोपाल के प्रस्ताव को खनिज साधन एवं श्रम विभाग मंत्री ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह ने एनसीएल को अग्रेसित किया था।
NCL प्रबन्धन का आया बयान
इस मसले को लेकर एनसीएल प्रबंधन का कहना है कि कंपनी के द्वारा सीएसआर फंड को नियमों के तहत ही खर्च किया जा रहा है। नियमों के तहत सीएसआर के 80 फीसदी फंड को कंपनी के आसपास के क्षेत्र में करना होता है और शेष 20 फीसदी फंड को देश के अन्य हिस्सों में नियमों के तहत खर्च करना होता है। इसके अलावा सिंगरौली के विकास के लिए हर सेक्टर में समय समय पर एनसीएल तो निरंतर ही सीएसआर फंड की सहायता करता रहता है।
ऐसे में समझें कि किसे है फंड की जरूरत?
सवाल ये उठ रहे हैं कि जब सिंगरौली जिले में स्कूल शिक्षा व्यवस्था से लेकर उच्च शिक्षा व्यवस्था के भी हालात जबलपुर के मुकाबले काफी बदतर हैं। ऐसे हालात में सीएसआर जैसे फंड को खर्च करने की आवश्यकता जबलपुर से ज्यादा सिंगरौली के लिए बनती है। लोगों का ये भी कहना है कि भले ही वर्ष दर वर्ष एनसीएल लोकल परिक्षेत्र में शिक्षा समेत विभिन्न कार्यों के लिए सीएसआर से फंडिंग करता है, लेकिन शिक्षा जैसे कई ऐसे सेक्टर हैं, जिनमें सुधार के लिए निरंतर व्याप्त स्तर के प्रयास की आवश्यकता है और इन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए फंड की भी नितांत आवश्यकता रहती है। लेकिन दुर्भाग्य पूर्ण है कि इस प्रकार वास्तविकताओं से परे जाकर सिंगरौली के हक के फंड को उन बड़े शहरों में खर्च किया जा रहा है, जो हर मामले में सिंगरौली से अच्छी स्थिति में है।