Singrauli News : स्व सहायता समूह की महिलायें सीड बॉल के माध्यम से परती भूमि को अब हरा भरा बनाने में सहयोग करने वाली हैं। गोबर व मिट्टी से तैयार बॉल में फलदार व ईको फ्रेंडली पौधों के बीज डाले जा रहे हैं। बारिश के पहले इन बॉलों को परती भूमि में डाल दिया जायेगा। बारिश का पानी पाते ही बॉल में ही बीज अंकुरित हो जायेगा। इतना ही नहीं ड्रोन से ऊंची पहाड़ियों पर भी सीड बॉल को गिराया जायेगा।
20 हजार सीड बॉल तैयार किये जा चुके हैं
इन दिनों गौशाला संचालित करने वाली समूह की महिलायें सीड बॉल तैयार करने में जुटी हुई हैं। अब तक 20 हजार सीड बॉल तैयार किये जा चुके हैं, जबकि इस साल 2 लाख सीड बॉल परती भूमियों व पहाड़ियों पर फेंकने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। यदि यह योजना सफल हो जाती है तो वह दिन दूर नहीं जब गौशाला के आसपास की परती भूमि व पहाड़ियां फिर से हरी- भरी दिखाई देने लगें। जिसमें जाकर गौवंश चरते हुए अपना पेट भर सकें।
ऐसे बनती है सीड बॉल एनआरएलएम डीपीएम मंगलेश्वर सिंह के अनुसार सिंगरौली जिले में स्थित गौशालाओं के पास काफी मात्रा में भूमि है लेकिन परती होने के कारण गौवंश को चरने के लिए नहीं मिलता है। इस भूमि पर गौवंश के लिए चारा उपजाने के अलावा फलदार, जंगली पौधे बोने के लिए एक तरकीब निकाली गई है। जो काफी कारगर साबित होने वाली है। मिट्टी में गोबर मिलाने के बाद उसकी पोषक क्षमता बढ़ जाती है। इसलिए गोबर व मिट्टी को मिलाया जा रहा है फिर उसमें बीज डालकर बॉल का रूप दे दिया जा रहा है।
ऐसे बीज पौधे का रूप धारण करेगा
बारिश में हो जायेगा अंकुरित यह बॉल जब बारिश के पानी के संपर्क में आयेगा तो उसके अंदर का बीज अंकुरित हो जायेगा। पोषक मिट्टी व पानी के संपर्क से बीज पौधे का रूप धारण कर लेगा। एक सीड बाल में कम से कम 8-10 बीज डाले जा रहे हैं। यही विधि गायों के लिये चारा उपजाने के लिए किया जायेगा। पहाड़ियों को हरा-भरा बनाने में भी सीड बॉल का उपयोग किया जायेगा।
चारा की समस्या का होगा समाधान गौशाला संचालित करने की जिम्मेदारी स्व सहायता समूह को दी गयी है। इन महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए सबसे बढ़िया साधन होगा। गौशाला की भूमि पर फलदार पौधे होंगे तो उसका फल से समूह की महिलाओं की कमाई बढ़ेगी। इसके अलावा गायों के चारा की समस्या का समाधान होगा और गायों का दूध भी बढ़ जायेगा। जिससे समूह की आमदनी बढ़ेगी। हजारों सीड बॉल जंगल का रूप धारण करेंगी तो लकड़ी का उपयोग भी समूह की महिलायें ही कर सकेंगी।
ड्रोन का लिया जायेगा सहारा
गौशाला की परती भूमि पर समूह की महिलायें अपने हाथों से सीड बॉल तैयार कर फेंकना शुरू कर चुकी हैं। आसपास की दुर्गम पहाड़ियों को भी हरा-भरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। वहां तक सीड बॉल को पहुंचाने के लिये ड्रोन का इस्तेमाल किया जायेगा। अब तक ग्राम पंचायत कुम्हिया, सुहिरा, मलगो, कोयलखूंथ, मझगवां-2 में स्थित गौशालाओं में सीड बॉल युद्धस्तर पर तैयार किये जा रहे हैं। उन्हें धूप में सुखाकर रखा जा रहा है। जैसे ही बारिश का सिलसिला बढ़ेगा, सीड बॉल को परती भूमि पर डालने का कार्य शुरू कर दिया जाएगा.
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