Changes In The Criminal Law : अब दुष्कर्म, गैंगरेप समेत अन्य गंभीर महिला अपराधों की जांच का जिम्मा महिला इंस्पेक्टर या सब इंस्पेक्टर रैंक की अधिकारी के पास होगा। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा-51,173 और 184 के तहत ये प्रावधान किया है। एफआईआर लिखने से लेकर बयान तक की वीडियोग्राफी होगी। पीड़िता की पहचान किसी भी स्थिति में सार्वजनिक नहीं की जाएगी। पीड़िता को जहां सुविधाजनक होगा, वहां बयान दर्ज हो सकेंगे। मप्र पुलिस की गाइडलाइन में पीड़िता को थाने न बुलाकर यथासंभव उचित स्थान पर बयान लेने और पीड़िता के घर सादे कपड़ों में जाने का नियम है। पॉक्सो एक्ट के तहत नाबालिग बालक-बालिकाओं के साथ हुए अपराध की जांच का जिम्मा भी महिला अफसर के पास ही रहेगा।
1. दुष्कर्म… उम्रकैद यानी अंतिम सांस तक कैद
पहले आईपीसी की धारा 375 में महिला का बलपूर्वक शारीरिक शोषण करने पर अपराध दर्ज होता था। धारा 376 के तहत आजीवन कारवास (सामान्यतः 20 साल तक की सजा की व्यवस्था थी। अब भारतीय न्याय संहिता में इस तरह के केस में धारा 63 के तहत मामला दर्ज होगा। धारा 64 में अधिकतम आजीवन कारावास, जो कि ताउम्र (अंतिम सांस तक) है और न्यूनतम 10 वर्ष कैद की सजा का प्रावधान है। धारा 65 के तहत 16 साल से कम उम्र की पीड़िता से दुष्कर्म पर कम से कम 20 साल के कठोर कारावास, उम्रकैद और जुर्माने का प्रावधान है। 12 वर्ष से कम उम्र की पीड़िता से दुष्कर्म पर न्यूनतम 20 साल की कैद, आजीवन कारावास या मृत्युदंड।
2. सामूहिक दुष्कर्म… न्यूनतम 20 साल कैद
पहले… 12 साल से कम उम्र की पीड़िता के साथ सामूहिक दुष्कर्म (376 डी व बी) में मृत्युदंड का प्रावधान था। 16 साल से कम उम्र की पीड़िता के साथ सामूहिक दुष्कर्म में आरोपियों को 20 वर्ष की कैद या आजीवन कारावास का प्रावधान था। 18 वर्ष से अधिक की महिला से गैंगरेप में 20 वर्ष के कठोर कारावास या उम्रकैद का प्रावधान था। अब… धारा 70 के तहत पीड़िता यदि वयस्क है तो अपराधी की सजा की अवधि 20 साल से कम नहीं होगी। आजीवन कारावास का भी प्रावधान। 18 वर्ष से कम उम्र की पीड़िता के साथ गैंगरेप के आरोपियों को आजीवन कारावास या मृत्युदंड और जुर्माने का प्रावधान है।
3. शादी का झांसा देकर रेप… बिन वारंट गिरफ्तारी
पहले… शादी का वादा कर रेप करने के मामले में धारा 493 के तहत ये मामला असंज्ञेय मानकर कार्यवाही की जाती थी। इसमें दस वर्ष तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान। असंज्ञेय अपराध होने से पुलिस बगैर वारंट के आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकती थी। अब… धारा 69 के तहत इस तरह के प्रकरणों को संज्ञेय अपराध माना
जाएगा। पुलिस बगैर वारंट के आरोपी को गिरफ्तार कर सकेगी। इसमें दस वर्ष तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
4. गलत तरीके से छूना… सिर्फ धारा बदली
लैंगिक उत्पीड़न… महिला को गलत उद्देश्य से छूना, उसे अश्लील सामग्री दिखाना, यौन संबंध बनाने का प्रस्ताव देना, अभद्र और कामुक टिप्पणी करने पर पहले IPC की धारा 354 (क) लगती थी, अब इसमें धारा 75 में मामला दर्ज होगा। पीछा करना… गलत इरादे से महिला का पीछा करना या इंटरनेट, ईमेल या इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से निगरानी करने के अपराध में IPC 354 (घ) में केस दर्ज होता था। अब धारा 78 में होगा।
5. अपहरण केस में उम्र को लेकर बदलाव
पहले… अपहरण के मामलों में धारा-363 के तहत बालक की उम्र 16 वर्ष और बालिका की आयु 18 वर्ष निर्धारित थी। अब… नए कानून में अपहरण के मामलों में बालक और बालिका की उम्र 18 वर्ष निर्धारित की गई है।
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