National School Ranking 2025-26 : राष्ट्रीय स्कूल रैंकिंग 2025-26 में इंदौर के निजी स्कूल चमके लेकिन कोई भी सरकारी स्कूल शामिल नहीं हुआ। भोपाल के केवल दो सरकारी स्कूल सूची में आए। यह शिक्षा व्यवस्था की असमानता का गंभीर संकेत है।
देश की सबसे प्रतिष्ठित राष्ट्रीय स्कूल रैंकिंग 2025-26 जारी हो गई है। इसमें मध्य प्रदेश के निजी स्कूलों ने अच्छा प्रदर्शन किया। लेकिन सरकारी स्कूलों की स्थिति कमजोर रही। इंदौर से एक भी सरकारी स्कूल सूची में जगह नहीं बना पाया। भोपाल से केवल दो सरकारी स्कूल शामिल हुए।
इंदौर के निजी स्कूलों की चमक
इंदौर निजी शिक्षा के लिए जाना जाता है। इस बार भी उसके कई स्कूलों ने शानदार प्रदर्शन किया।
- द एमराल्ड हाइट्स इंटरनेशनल स्कूल, इंदौर, राष्ट्रीय स्तर पर दूसरे स्थान पर रहा।
- दिल्ली पब्लिक स्कूल, शिशुकुंज इंटरनेशनल और न्यू दिगंबर भी सूची में ऊपर रहे।
- द श्रीराम सेंटेनियल स्कूल और मेडी-कैप्स इंटरनेशनल ने भी टॉप-100 में जगह बनाई।
इन उपलब्धियों ने साबित किया कि इंदौर निजी शिक्षा में देश का अग्रणी शहर है।

सरकारी स्कूलों की निराशा
इंदौर से कोई भी सरकारी स्कूल राष्ट्रीय सूची में शामिल नहीं हुआ। वहीं भोपाल से केवल दो सरकारी स्कूलों ने सूची में जगह बनाई।
आर्मी पब्लिक स्कूल, भोपाल को भारत में 41वां स्थान मिला।
महर्षि विद्या मंदिर, भोपाल 112वें स्थान पर रहा।
हालांकि ये उच्च स्थान पर नहीं हैं, लेकिन उनकी उपस्थिति सरकारी शिक्षा की प्रासंगिकता दिखाती है।
गंभीर सवाल
यह स्थिति कुछ चिंताजनक सवाल खड़े करती है।
- जब इंदौर निजी शिक्षा का बड़ा केंद्र है तो सरकारी स्कूल इतने पीछे क्यों हैं?
- क्या इंदौर का शैक्षिक विकास केवल अमीर वर्ग तक सीमित है?
- क्या सरकारी स्कूलों को पर्याप्त ध्यान और संसाधन नहीं मिल रहे हैं?

मध्य प्रदेश रैंकिंग में स्थान
मध्य प्रदेश के विभिन्न निजी स्कूलों ने टॉप-100 में जगह बनाई।
- द संस्कार वैली स्कूल, भोपाल – 34वां स्थान
- नील वर्ल्ड स्कूल, मुरैना – 48वां स्थान
- मैक्रो विजन अकादमी, बुरहानपुर – 73वां स्थान
- भंडारी पब्लिक स्कूल, खंडवा – 82वां स्थान
- दिल्ली पब्लिक स्कूल, जबलपुर – 92वां स्थान
इसके अलावा जबलपुर, कटनी, छिंदवाड़ा और सिवनी के निजी स्कूल भी टॉप सूची में रहे। यह रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि निजी शिक्षा और सरकारी शिक्षा के बीच गहरी खाई बन गई है। निजी संस्थान लगातार ऊंचाइयों पर पहुंच रहे हैं। लेकिन सरकारी स्कूल पीछे छूट रहे हैं। इंदौर जैसे बड़े शहर से एक भी सरकारी स्कूल का सूची में न होना सबसे बड़ा संकेत है।







