Singrauli News : बंधौरा में महान एनजेंन कंपनी और विस्थापितों के बीच विवाद धमने का नाम नहीं ले रहा है। मुआवजा, नौकरी, भत्ता आदि की मांग को लेकर नगवां, कसुआलाल, बंधौरा आदि गांवों के विस्थापित कंपनी प्रबंधन की नीतियों से खुश नहीं हैं। यही वजह है कि आये दिन बाद-विवाद की स्थितियां निर्मित हो रही हैं।
परसो सोमवार को जो विवाद व मारपीट हुई उसके पीछे की मुख्य वजह मुआवजा वितरण है। ग्रामीणों का कहना है कि कंपनी प्रबंधन द्वारा कुछ लोगों को ज्यादा मुआवजा दिया गया तो कुछ लोगों मुआवजे की मांग करने पर लाठी-डंडे मिल रहे हैं। सोमवार को नगवां स्थित जमीन पर ऐश डाइक बनाने के लिए कंपनी प्रबंधन द्वारा सुरक्षाकर्मी लगाकर जमीन का समतलीकरण किया जा रहा था। जिसका विरोध करने के लिए ग्रामीण पहुंचे। विरोध के दौरान एक महिला को कंपनी की महिला बाउंसरों ने धक्का दे दिया, इसी बात को लेकर कहासुनी शुरु हुई और दोनों पक्षों के बीच देखते ही देखते लाठी डंडे व पत्थरबाजी होने लगी। जिसमे मौके पर अफरा-तफरी का माहौल निर्मित हो गया। मारपीट में कंपनी के कर्मचारियों, सुरक्षाकर्मियों के साथ कई ग्रामीण भी घायल हुए हैं।
प्लांट स्थापना के समय से ही विवाद दरअसल, बंधौरा में एस्सार द्वारा पावर प्लांट की स्थापना की गई थी। एस्सार कंपनी ने कई गांवों के किसानों की जमीनों का अधिग्रहण किया था। जिसमें कुछ किसानों को जमीनों का समुचित मुआवजा न दिये जाने की बात करते हुए विस्थापित समय-समय पर आंदोलन करते रहे है। विगत वर्षों के दौरान एस्सार पावर को महान एनर्जेन कंपनी ने खरीद लिया, लेकिन जिन किसानों को शुरुआत में उचित मुआवजा नहीं मिला था। इस कारण किसान व ग्रामीण लगातार मांगों को लेकर आंदोलन करते रहे।
मुआवजा वितरण में भेदभाव का आरोप
विस्थापितों का कहना है कि मुआवजा वितरण के साथ नौकरी देने में कंपनी प्रबंधन द्वारा भेदभाव किया गया। इन्हीं सब मांगों को लेकर विस्थापित अडे है। कंपनी प्रबंधन का कहना है कि पूर्व में सभी विस्थापितों को पूरा मुआवजा और अन्य लाभ दिया जा चुका है। विस्थापित जान-बूझकर हंगामा खड़ा करते हैं। सोमवार को जो घटनाक्रम हुआ वह ग्रामीणों द्वारा जान-बूझकर किया गया, ताकि कंपनी अधिग्रहित जमीनों पर काम शुरु न कर पाये। फिलहाल, ममला जो भी हो, अगर समय रहते निराकरण नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में विवाद की स्थितियां बनती रहेंगी।
सोमवार को विवाद व पत्थरबाजी के दौरान नगवां में कंपनी के कर्मचारियों की कई चारपहिया गाडियों में तोड़फोड़ की गई है। वहीं जमीनों को समतल करने में लगी मशीनों को भी नुकसान पहुंचा है। मारपीट व पत्थरबाजी में घायल कंपनी के कर्मचारियों को जिला अस्पताल व एक निजी चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है। वहीं घायल ग्रामीण अपने स्तर पर इलाज करा रहे हैं।
इसके पहले भी हो चुकी है भिड़ंत
साल 2007-08 में कंपनी की स्थापना के लिए जब जमीनों का अधिग्रहण पल रह चवा उस समय भी जमकर विषय हुआ था। जिसमें ग्रामीणों के साथ-साथ राजस्थ और पुलिस महकमे के लोग गंभीर रुप से घायल हुए थे। कुछ महीने पहले श्री विस्थापितों की जमीन में कब्जे को लेकर कंपनी कर्मवरियें और वित्वापितों के बीच जमकर विवव हुआ था और एक-दूसरे के बीच लाठी डंडे चने थे। बालीणों का आरोप था कि कंपनी प्रबंधन धन-बल का उपयोग करते हुए जबरन जमीनों पर कब्जा किया था। उसी समय से अंदर ही अंदर विस्थापितों में आक्रोश पनप रहा था। सोमवार को जब कंपनी के कर्मचारी जमीनों में कब्जा करने पहुंचे तभी बोले पक्षों के बीच विधाय शुरु हो गया। जिसमें दोनों पक्षों से एक कर्जन से अधिक लोग घायल हुए हैं।
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