Singrauli Compensation Scam : सिंगरौली जिला पूरे देश में औद्योगिक हब के नाम से प्रसिद्ध है और यहाँ पर बड़ी बड़ी कंपनिया इन्वेस्टमेंट करती रहती हैं, सिंगरौली जिले में कोयले का भण्डार छुपा हुआ है, जिसके खनन के लिए कंपनियाँ लोगों के जमीन को अधिग्रहित करती हैं और उन्हे मुआवजा देती हैं, लेकिन सिंगरौली के मुआवजाजीवी कुछ ही दिनों में अरबो रूपये ढकार जाते हैं, इसीको लेकर प्रदेश का जाना माना अखबार दैनिक भास्कर ने इन मुआवजा जीवियों की पोल खोल दी।
दैनिक भास्कर ने खोल दी पोल
दैनिक भास्कर ने अपने एक आर्टिकल में लिखा कि कुछ दिन में करोड़ों मुआवजा सरकारी परियोजनाओं और जमीन अधिग्रहण में नेता और अफसरों का गठजोड़ किस तरह गड़बड़ियां कर रहा है, इसका ताजा उदाहरण सिंगरौली में सामने आया है। यहां कांग्रेस सरकार के पूर्व मंत्री, राज्यसभा सदस्य, मेयर और पूर्व विधायकों ने बड़ी परियोजनाओं और कंपनियों के लिए जमीन अधिग्रहण का फायदा उठाने के लिए रातोरात औने- पौने दाम में करोड़ों की जमीन खरीदी। खास बात यह है कि ये जमीन अधिग्रहण की अधिसूचना से ठीक पहले खरीदी गई। वे कभी यहां रहे भी नहीं, फिर भी अफसरों ने मुआवजा पारित कर दिया।
दैनिक भास्कर ने सिंगरौली में पड़ताल की तो पता चला कि यहां परियोजनाओं के आसपास जमीनें बेचने का पूरा रैकेट काम कर रहा है। यहां की 5 परियोजनाओं में करीब 740 करोड़ का भ्रष्टाचार होने की बात सामने आ रही है। यह रैकेट बड़े मुआवजे का लालच देकर जमीनों का सौदा कर रहा है। भास्कर रिपोर्टर ने भी ऐसी एक जमीन का सौदा किया। सिंगरौली में अभी करीब 8 परियोजनाएं चल रही हैं।
अजय प्रताप सिंह: पीए, पत्नी, पुत्र व भाई के नाम ₹20 करोड़ का मुआवजा
राज्यसभा सांसद अजय प्रताप सिंह के पुत्र लवलेश रतन, कुलशेख रतन सिंह, भाई, भतीजे और भजीती संध्या सिंह के अलावा पीए दधीचि सिंह, दधीचि की पत्नी सुषमा व करीबियों ने सिंगरौली रेल, बधा, अमीलिया, सुरिलिया और घिरौली कोल माइंस परियोजनाओं में करीब 20 करोड़ का मुआवजा लिया। इन्होंने परियोजना शुरू होने के बाद खेतिहर जमीन खरीदी और उस पर थोड़ा-बहुत निर्माण कराकर मुआवजा लिया। भास्कर के पास सारे खसरा नंबर और इन्हें बेचने वालों के नाम हैं। इस संबंध में अजय प्रताप सिंह और उनके पीए से बात करने की कोशिश की, पर उन्होंने जवाब नहीं दिया।
पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल के परिवार ने भी जमकर बनाया मुआवजा
6 जून 2021 को धिरौली कोल माइंस में भू-अर्जन की प्रक्रिया शुरू हुई थी। स्थानीय किसान सुरेश शाह और अन्य से कमलेश्वर पटेल के भाई अजीत सिंह के नाम 13 फरवरी 2022 को 1 एकड़ जमीन 32 लाख रु. में खरीदी गई। दो दिन बाद ही कलेक्टर ने धारा 11 का प्रकाशन किया। इसके बाद अजीत सिंह को 3 करोड़ रु. का मुआवजा पारित हुआ।
इसी कोल माइन में पटेल की पत्नी प्रीति पटेल, बेटा ईशान पटेल, बेटी ईशा पटेल और भाई अजीत सिंह की ग्राम आमडांड, बासी खैरदह और अमाईखोह की जमीन करीचियों के नाम करवाकर तीन करोड़ का मुआवजा स्वीकृत कराया।
रानी अग्रवाल, मेयर जिस जमीन पर बेटे-देवर को मुआवजा
रानी आग्रवाल के बेटों संस्कार और स्वागत अग्रवाल के नाम से 16.21 लाख रु., देवर विकास चंद्र के नाम 11 लाख का मुआवजा मिला। यह जमीन पेडरवाह गांव में खसरा भोलानाथ पुत्र रामधनी कुर्मी की थी। अमिलिया कोल माईस का मुआवजा 2009 में पारित होने के बाद कंपनी का पुनः अर्जन 31/08/19 को अवार्ड पारित किया गया। इसमें 1,778 मकान और जोड़ने के साथ 67 करोड़ का मुआवजा बढ़ाया गया। इनमें 90% लोगों को दूसरे की भूमि पर मुआवजा मिला, जो भू-अर्जन एक्ट का उल्लंघन है। बेटों के नाम मुआवजा पारित होने की कोई जानकारी नहीं है। न मैंने कोई जमीन ली। रानी अग्रवाल
शरदेंदु तिवारी पूर्व विधायक के बेटे-बेटी के नाम 14 लाख मुआवजा
घिरौली कोल माईस में चुरहट से पूर्व विधायक की पत्नी व बेटे के नाम 67,942-67,942 रु. तो बेटी वर्तिका के नाम 13.99 लाख का मुआवजा बना। अधिसूचना से पहले जमीन खरीदी। बेटी ने अपने भाई के लिए जमीन खरीदी। पत्नी ने भी पिता से पैसे लेकर जमीन ली थी। शरदैदु तिवारी, पूर्व विधायक
ऐसे बिकती है जमीन
भास्कर से बोला एजेंट- 20 लाख में आधा एकड़ दूंगा…
रिपोर्टर मुझे सरई तहसील में जमीन चाहिए, मिल जाएगी?
सुरेश (एजेंट) जी, मिल जाएगी।
रिपोर्टर एक एकड़ जमीन लेनी है?
एजेंट जी, मेरे पास खेत है। मैं आपको दे दूंगा, पर अभी आधा एकड़ ही दूंगा। रिपोर्टर क्या भाव चल रहा है अभी और आधा एकड़ कितने में दोगे? एजेंट: आधा एकड़ के 20 लाख लूंगा।
रिपोर्टर्स आपने एक एकड़ जमीन कमलेश्वर पटेल के भाई अजीत सिंह को 30 लाख में बेची थी, मुझसे ज्यादा क्यों ले रहे हो?
एजेंट: अभी कंपनियों का माहौल है इसलिए भाव बढ़ गए है। अजीत सिंह को मैंने अपना खेत 32 लाख में दिया।
रिपोर्टर मकान दिया या खेत? एजेंट केवल खेत दिया था। इस पर महल खड़ा कर दिया। आप भी ऐसे मकान बनाओ। जमीनों के भाव इसलिए तो बढ़ रहे हैं। कंपनियों का माहौल होने से भाव बढ़ गए हैं।
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