Singrauli News : वैढ़न, सिंगरौली जिले में बेरोजगारी की मार रहे झेल युवा पीढ़ी अन्य राज्यों में मजदूरी करने को मजबूर हैं। किसी कारणवश अचानक अन्य राज्यों में मजदूर की मजदुरी करते दुर्भाग्यवश यदि मौत हो जाये तो वहां से शव लाना टेढ़ी खीर साबित होने लगती है। समाज के लोग, पड़ोसी, स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं स्थानीय नेता, वोट मांगते समय चौबीस घंटे खड़े रहने का दावा तो करते हैं लेकिन समय पर सहयोग की भावना देखने को नहीं मिलती।
ऐसा ही संवेदनाओं से जुड़ा एक मामला नगर परिषद सरई के कोनी गांव से सामने आया है जहां बाप बेटे का, बहन भाई का, मां अपने लाल का, पत्नी का सुहाग अन्य राज्य में मजदूरी करने गया हुआ था, जिससे परिवार का खर्चा चल सके, क्या मालूम था कि परिजनों को खर्च के बदले मजदूर गोरेलाल साकेत निवासी कोनी का शव मिलेगा। अचानक मजदूरी करते हुए युवक की मौत हो जाती है। सूचना मिलने के 2 दिन तक शव लाने के लिए रोते बिलखते परिजन भटकते रहते हैं। अंत में चर्चित समाजसेवी प्रेम सिंह भाटी के घर पहुंचे परिजन, समाजसेवी ने देवसर विधानसभा के विधायक राजेंद्र मेश्राम के पास परिजनों की बात कराई। परिजनों ने बताया कि निजी एंबुलेंस गुजरात से सिंगरौली के सरई घर तक लाने के लिए 75 हजार रूपये मांग रही है। आनन फानन में सभी तंत्र परिजनों की समस्या का समाधान करने में जुट जाते हैं, और आज सुबह गुजरात राज्य के सूरत जिले से लाकर परिजनों को शव आज सौंपा गया।
जहां पर शव का अंतिम संस्कार किया गया। यहां सवाल यह उठता है कि क्या जिले में अब तक अन्य राज्यों में अपने जिले के मरीज की मौत हो जाने पर शव मंगाने के लिए आधिकारिक रूप से कोई बजट नहीं है? मजदूर के शव लाने में संवेदनशील विधायक राजेंद्र मेश्राम ने 30 हजार रूपये, तहसीलदार चंद्रशेखर मिश्रा 05 हजार, नगर परिषद सीएमओ 6 हजार, समाजसेवी प्रेम सिंह भाटी 21 हजार, निजि वाहन दो चालक के रूप में विजय शाहब, और इंद्राज सोलंकी को सौंपा व दर्जन भर स्थानीय नेता, व भैरव प्रांगण समिति ने कुल मिलकर 9101 रूपये की सहयता राशि परिजनों को हाथ में सौंपी। विलखती आंखों ने अपने चहेते का अंतिम दर्शन पाकर उन सबको दुआएं दी जिनकी मदद से कम से कम उनके घर का चिराग जिन्दा नहीं तो मृत अवस्था में ही घर पहुंच सका।