Singrauli Politics News : विधानसभा चुनाव सन्निकट है। विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशी अपनी अपनी किस्मत आजमाने के लिए मैदान में आ रहे हैं। नामांकन भरे जा रहे हैं। विधानसभा सिंगरौली से कांग्रेस प्रत्याशी श्रीमती रेनू शाह ने अपना नामांकन डाला। २६ अक्टूबर को भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी श्री रामनिवास शाह नामांकन दाखिल करेंगे। आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी के रूप में श्रीमती रानी अग्रवाल ने भी अपना नामांकन सिंगरौली विधानसभा क्षेत्र से दाखिल किया।
श्रीमती रानी अग्रवाल नगर पालिक निगम सिंगरौली की महापौर भी हैं। महापौर बनने के बाद नवंबर में होने वाले चुनाव में श्रीमती रानी अग्रवाल विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने के लिए चुनाव मैदान में पहुंच चुकी हैं। जनता ने नगर निगम के चुनाव में परिवर्तन की आस्था से श्रीमती रानी अग्रवाल का चेहरा पसंद किया था। श्रीमती अग्रवाल फिर से वही लाभ लेने की तैयारी में हैं।
भारतीय जनता पार्टी तथा कांग्रेस पार्टी ने प्रत्याशी के रूप में ओबीसी जाति के लोगों को चुना है। श्रीमती रानी अग्रवाल सामान्य जाति से हैं। वे इस चुनाव में सवर्णों का हृदय टटोलने का प्रयास करेंगी क्योंकि सवर्णों के मतदाता भी ओबीसी के बराबर ही बताये जाते हैं। लेकिन यहां सवाल यह है कि महापौर बनने से पहले श्रीमती रानी अग्रवाल ने जनता से जो वायदे किये थे वे उसको पूरा करने में अबतक पूर्णत: असफल रही हैं।
जनता महापौर के रूप में रानी अग्रवाल से असंतुष्ट है। निगम क्षेत्र में जो विकास होने चाहिए उसमें गुणात्मकता नहीं देखी जा रही है क्योंकि महापौर विकास के प्रति भी उदासीन दिखती रहीं या यूं कहें कि भाजपाई पार्षदों के बीच उनकी एक भी नहीं चली। कहते हैं न बत्तीस दांतों के बीच में जीभ की जो स्थिति होती है वही निगम में महापौर की बनी हुयी है।
बचपन में एक कहानी पढ़ी थी कि जंगल का एक सियार घूमते-घूमते एक ताड़ के पेड़ के नीचे बैठ गया। जब वह विश्राम की अवस्था में था तो ताड़ से एक नारियल टूटकर नीचे उसकी खोपड़ी पर गिरा। सियार वहां से भागा फिर वह नारियल के पेड़ के नीचे कभी नहीं गया। कहावत है कि ‘सियरा का फिर ताड़े के नीचे जाई विधानसभा सिंगरौली की जनता की आप प्रत्याशी के प्रति यही कहावत चरितार्थ होती दिखायी दे रही है। बताते हैं कि गत दिनों आम आदमी पार्टी के कुछ कार्यकर्ता मोरवा एवं जगमोरवा में प्रचार करने गये थे तो वहां की जनता ने आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं को नकार दिया। उन्हें वहां से पलायित होने के लिए विवश कर दिया।
तकरीबन तीन महीने पूर्व से विधानसभा सिंगरौली के घर-घर में झाड़ू और लड्डू बांटा जा रहा है। आप प्रत्याशी के पास अब कौन से मुद्दे बचे हैं जिन्हें पूरा करने के लिए वह जनता के बीच में जायेंगी। जिन मुद्दों को लेकर के नगर निगम महापौर का चुनाव लड़ा गया और जीतने के बाद पूरा नहीं किया गया उन मुद्दों को दोहराना आप प्रत्याशी के लिए लाजिमी नहीं लगता। वैसे भी प्रदेश में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के कोई आसार नहीं नजर आ रहे हैं ऐसे में आम आदमी पार्टी को विधानसभा सिंगरौली से जीत भी हासिल हो गयी तो एक चना क्या भाड़ फोड़ेगा।